पहली नज़र का प्यार
पहली नज़र का प्यार
जाने आज कैसी शिकस्त का खुमार है,
अरे हाँ ! ये पहली नज़र का प्यार है।
अजब - सा लफ्ज़ ढाई अक्षर से है बना,
महसूस करूँ तो मैं यूँ हो जाऊँ फना।
अब तीर लगा इस दिल के पार है,
अरे हाँ ये पहली नज़र का प्यार है।
पल में खो गए थे जाने कहाँ हम,
फिज़ाओं नें घोल दिया था शबनम।
हमारी आरज़ू सिर्फ उनका दीदार है,
अरे ये पहली नज़र का प्यार है।
कुछ करीब थे जब वो आने लगे,
बस आफताब को और जलाने लगे।
कुरबत में जिसकी झुके मेरा संसार है,
शायद पहली ही नज़र का प्यार है।
बस तिरछी निगाहों ने यूँ घायल किया,
हमें ज़िंदगी का रहबर है बना लिया।
दिल पर लगा दो नैनों का कटार है,
शायद पहली नज़र का प्यार है।
ज़ुल्फ़ें हो जैसे कहर से बँधा हुआ,
खामोश मिज़ाज़ था सर झुका हुआ।
वो कोई घाव और मरहम का सार है।
ये तो पहली नज़र का प्यार है।
कुछ पहेलियों जैसे रब ने मिलाया है,
ज़मीं और फलक पे उन्हीं का साया है।
एक झलक ने ही मचाया कोहराम है।
ये बस पहली नज़र का प्यार है।