पहली मुलाक़ात
पहली मुलाक़ात
ता-उम्र से इंतजार था जिसका वो लम्हा आज बिता रहा हूँ,
खुदा की नेमत है कि आज की शाम तेरे साथ बिता रहा हूँ
तू नाराज़ न होना जो दिल में हो बता देना,
सुनकर मेरे दिल-जज़्बात मैं जो तुमको सुना रहा हूँ
ख्वाहिश है तुझे अपना हमसफर बनाने की,
तेरी जिंदगी तेरे खुशी और ग़म को बाँटने की इल्तिज़ा फरमा रहा हूँ
हो तुझे मंजूर तो हाँ कह दे सनम,
बहुत सोचकर दिल की बात अपने होंठों पे ला रहा हूँ