STORYMIRROR

Kumar Vinod

Abstract

2  

Kumar Vinod

Abstract

मौसम और तुम

मौसम और तुम

1 min
115

अब क्या देखूँ तुझे तेरे बदल जाने के बाद,

कि नये पत्ते आते हैं शाखो पे पुराने टूट जाने के बाद ।


क्या शिकायत करूँ कि कितने बदल गये, 

तुम नया नज़ारा देखने के बाद,


शायद अब हम में वो बात नहीं रही,

जो तुम देख कर आये हो किसी और मे देखने के बाद ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract