मौसम और तुम
मौसम और तुम
अब क्या देखूँ तुझे तेरे बदल जाने के बाद,
कि नये पत्ते आते हैं शाखो पे पुराने टूट जाने के बाद ।
क्या शिकायत करूँ कि कितने बदल गये,
तुम नया नज़ारा देखने के बाद,
शायद अब हम में वो बात नहीं रही,
जो तुम देख कर आये हो किसी और मे देखने के बाद ।