गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
आज फिर लाल किले पर अपना तिरंगा फहराया जायेगा,
भव्य समारोह, अद्भुत झांकियां और परेड का दृश्य दिखाया जायेगा,
आया है फिर से गणतंत्र दिवस और ये जोर शोर से मनाया जायेगा ।
मग़र मन व्यथित है मेरा देख देश के हालातों को,
जब तक सब ठीक नहीं होता, मुझसे खुश ना होया जायेगा।
देशभक्ति और देशप्रेम अब यहाँ एक ही दिन का होता है,
सुबह तिरंगा लहराते सब हाथों में, दूजे दिन सड़कों पर होता है।
सोशल साइट्स पर सबको देश के नाम पर टैग करते पाया जाता है,
चौराहे पर क्यूँ उन्हें ही सिग्नल तोड़ते पाया जाता है ।
देश की जनता ही देश के संविधान को क्यूँ है ललकार रही,
खुशी मनाती गणतंत्र दिवस को तो बाकी दिन क्यूँ शर्म लिहाज़ उतार रही।
भ्रष्ट नेताओं के झाॅंसे में अक्सर हम क्यों आ जाते हैं,
इक कंबल और इक बोतल में में क्यों वोट का सौदा कर आते हैं ।
टूटी सड़कें, उखड़े खम्बे, फूटी सीवर का यूँ तो कोई हिसाब नहीं,
चुनाव से पहले ही क्यों ये सब फिर ठीक बिल्कुल हो जाते हैं ।
कब तक हमको इन सबके द्वारा प्रलोभन में लपेटा जायेगा,
अपनी समझ-बूझ से ले सकें निर्णय कब वो दिन आयेगा ।
देखें जो हम सब अमल में लाकर संविधान हमारा,
सारा सच सामने हमारे फिर आ जायेगा ।
तोड़ कर नियम अपने फायदे के लिए,
क्या मिला है और क्या ही मिल पायेगा ।
देश का युवा, देश का नागरिक, सही मायने में
देश का संविधान जब अमल में लायेगा,
मेरा लिखना सुनाना तब सही अर्थो में सफल हो जायेगा ।