Kumar Vinod
Abstract
गुज़रे कोई मेरे दर्दो-ग़म से, ये मैं तो नहीं कहता,
हाले-दिल समझने को फक़त नीयत होना काफी है!
होली स्पेशल
रंग-ए-उल्फत
तेरा नशा और ह...
True Intentio...
सादगी
मौसम और तुम
कामयाबी
नाराज़गी
गणतंत्र दिवस
पहली मुलाक़ात
बिना पिता के एक बच्चे की दुनिया शून्य हो जाती है। बिना पिता के एक बच्चे की दुनिया शून्य हो जाती है।
नील-गगन के कृष्ण-वसन को, धीरे-धीरे दरकते हुए, पल-पल बदलते रक्त, पीत, श्वेत रंगों का नील-गगन के कृष्ण-वसन को, धीरे-धीरे दरकते हुए, पल-पल बदलते रक्त, पीत, श...
इधर उधर, जाने किधर छुपा हुआ है तू मगर. इधर उधर, जाने किधर छुपा हुआ है तू मगर.
बिस्तर पर भी मन ही मन उन्हें धन्यवाद किया, और पौधे लगाने का फिर निश्चय किया। बिस्तर पर भी मन ही मन उन्हें धन्यवाद किया, और पौधे लगाने का फिर निश्चय किया।
सवाल जवाब की दुनिया से निकल कुछ नवीन कर, समाज से निकल तू हर जगह अपनी ही ज़मीन कर, सवाल जवाब की दुनिया से निकल कुछ नवीन कर, समाज से निकल तू हर जगह अपनी ही ज़मीन...
भार बहुत है इसका ये सामान उतारो, मेरे सर से तुम अपना एहसान उतारो। भार बहुत है इसका ये सामान उतारो, मेरे सर से तुम अपना एहसान उतारो।
मन उद्वेलित होता, "राज' को सारे रिश्ते बेगाने लगते हैं। मन उद्वेलित होता, "राज' को सारे रिश्ते बेगाने लगते हैं।
प्यार, मोहब्बत सब में तेरा ही निशान ये दौलत, ये धन ये घर, ये परिवार प्यार, मोहब्बत सब में तेरा ही निशान ये दौलत, ये धन ये घर...
मां का हाथ जब मेरे हाथ में होता है। तो हाथों की लकीरें बदल जाती है। मां का हाथ जब मेरे हाथ में होता है। तो हाथों की लकीरें बदल जाती है।
मरने से पहले ही क्यों मरा जाए चलिए मुस्कुराइये , थोड़ा जिया जाए । मरने से पहले ही क्यों मरा जाए चलिए मुस्कुराइये , थोड़ा जिया जाए ।
सुपुर्द - ए-खाक करने के लिये ले जाता है कब्र तक सुपुर्द - ए-खाक करने के लिये ले जाता है कब्र तक
गर्म गर्म गर्मी से जब दहकती हैं हवाएं भरी जेठ में जब झुलसाती हैं सदाएं। गर्म गर्म गर्मी से जब दहकती हैं हवाएं भरी जेठ में जब झुलसाती हैं सदाएं।
यूँ ही बेख्याली में ये तमाम सफ़र होने दें। यूँ ही बेख्याली में ये तमाम सफ़र होने दें।
मुझसे देखी नहींं जाती जब तक जान न लूँ बिटिया ठीक है नींद नहींं आती। मुझसे देखी नहींं जाती जब तक जान न लूँ बिटिया ठीक है नींद नहींं आती।
चूड़ियों की खनक कराएं जीवंतता का एहसास। चूड़ियों की खनक कराएं जीवंतता का एहसास।
दिल कुछ और कह रहा है, दिमाग कुछ और, किसकी सुननी चाहिए, जाऊं किस ओर? दिल कुछ और कह रहा है, दिमाग कुछ और, किसकी सुननी चाहिए, जाऊं किस ओर?
जिसे तुम फरेपान कहती हो उसमें से आती भीमी भीमी जलने की ख़ुशबू। जिसे तुम फरेपान कहती हो उसमें से आती भीमी भीमी जलने की ख़ुशबू।
जहरीली हवा आँखों में जलन और दमा जगह जगह प्रदूषण का कहर नहीं थमा। जहरीली हवा आँखों में जलन और दमा जगह जगह प्रदूषण का कहर नहीं थमा।
सदा से ही सच झूठ के जंग में सच कभी हारा नहीं। सदा से ही सच झूठ के जंग में सच कभी हारा नहीं।
तमगों की तमन्ना , नहीं रखता कभी फ़ौजी। फ़ौजी के जहन में, कभी सियासत नहीं होती।। तमगों की तमन्ना , नहीं रखता कभी फ़ौजी। फ़ौजी के जहन में, कभी सियासत नहीं होती।।