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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

4.5  

मानव सिंह राणा 'सुओम'

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पहले

पहले

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एक दूसरे से रिश्ते थे दिलो के ज़ब 

शादी ब्याह में पत्तल पर भोज खिलाते थे पहले


नियमों को दिल से निभाने वाले थे लोग 

स्नेह से दरी बिछाकर पंगत जिमाते थे पहले.


अब कौन पूछता है किसी को खाने में 

एक पूड़ी और लेलो कहकर ,हक से पूड़ी खिलाते थे पहले.


बाल्टी भर भरकर लाते थे रायता 

सन्नाटे को बार बार ले लो कह कर पिलाते थे पहले.


आदर मान सम्मान की आदतें थी लोगों में 

ब्राह्मणो को पहले खिलाना ऐसा चलन निभाते थे पहले.


घूमघूमकर हर पंगत में थकते नहीं थे बच्चे 

सबके आगे पत्तल बिछाते थे पहले


पानी के आते ही सकोरा में सभी लोग

छींटे मारकर पत्तल पवित्र बनाते थे पहले


 झाल में पूरियां कचौरियाँ

हाथ से दबा दबाकर देना

बाल्टीयो में सभी सब्जी लाते थे पहले


बारी बारी से बाकि के पकवान परोसना

अंत में दही परोसने आते थे पहले


खाते खिलाते थे सभी बड़े ही प्यार दुलार से

हर आँख में शर्म और सम्मान नजर आते थे पहले।


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