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Nandita Srivastava

Abstract

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Nandita Srivastava

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एतबार खो गया है

एतबार खो गया है

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मेरा एतबार हो गया है,

लगता है,कुछ खो गया है

बस बिखर गया हूँ

अपने आप में खो गया है

मेरा एतबार............

खुशी की तलाश में शायद

बिखर गया हूँ,

भरोसे का दामन हाथ से

छिटक गया है,

मैं तनहा ही बैठ गया हूँ

मेरा ऐतबार..............

सोचा क्या था? और मिला क्या है?

अपनी ही गमों में गुम हो गया हूँ?

यह दुनियावी तमाशे में

बुरी तरह से खो गया हूँ

मेरा एतबार.................

मेरा भरोसा खेलता है

आँख मिचौली,में

कंचे की तरह खो गया है

मेरा ऐतबार।



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