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Nandita Srivastava

Abstract

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Nandita Srivastava

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बस जीने दो

बस जीने दो

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बस जीने दो, जहर का घूंट पीने दो

बस खाली तरबित से जीने दो

चंद साँसों का हिसाब हैं.बाकी

चंद लम्हे पीने दो

बस.....


रहने दो मेरा हिजाब बाकी

तंजो कसी के लिबास में रहने दो

नही दिल लगता है इल दुनिया में

साकी बस जीभर पीने दो

बस...


नहीं करके भी क़त्ल ,हम हैं कातिल

गुनाह करने का दिल करता है अब साकी

बस पीला दे इतना की बस नशे में डूब जाऊं साकी

बस...


जमाना सही है मै ही बुरा साकी

इन गमों में डूब जाने दें साकी

जिदगी के नशे में चूर था साकी

बस आखिरी मंजित तक पहुँचा दे साकी

बस ....।


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