कैसी बात करते हो
कैसी बात करते हो
यह कैसी बात करते हो
नफरतों से मुलाकात करते हो
यह कैसी बात करते हो
यह तरबियत तुम्हारी
बस तल्ख्खियो से भरी बातें तुम्हारी
यह कैसी बात.............
भूला दिया उन बातों
वह भीगी शाम से महकती शामों
वह तरनुम वह गजल में कहीं बातों को
यह कैसी ....................
चलो बस दूर हो जाये साथ रह कर नफरत ना बडायें
बस खुशनुमा शाम को यादगार कर जाये
यह कैसी...........................