गजल मख लूँ
गजल मख लूँ


आ गजल मख लूँ,
तेरे गमों को अपने होठों से चख लूँ
तेरे आँसूओं रूमाल में सोख कर जेब में रख लूँ
किस आलम में तू खोया हुआ और है उदास
बता तो सही किस बात कि है तुझ को है तलाश
आ गजल ......
सुन तेरे काली जुल्फों की कसम
तेरे साथ बिताये हुये लम्हो की कसम
तेरी घनेरी पलकों की कसम
बस अपनी बातें तो बता
अपनी परेशानियों का सबब तो बता
आ गजल....
जब तुझे अपने पास रहने भरम पालता
बिना बात के खिलखिलाने की कोशिश करता हूँ
तू दूर चली जाती है,हमारे सारे भरम को तोड़ जाती है
मेरे खुश रहने की वजह को मरोड़ जाती है
आ गजल....