स्वप्न
स्वप्न
स्वप्न वही जो साकार ना हो, जो हो साकार वो स्वप्न नहीं
आजादी वो जो घुटन ना दे, जो दे तड़पन तो आजादी कैसी
नींद वही जो सपनों को लाए, स्वप्न बिना ये नींद है कैसी
नज़र वही जो सौंदर्य को देखें, सौंदर्य नहीं तो नज़र ही कैसी
हृदय वही जो प्रेम भरा हो, प्रेम बिना यह हृदय है कैसा
शब्द वही जो रस को सींचे, रसों बिना यह शब्द हैं कैसे
भाव वही जो अभिव्यक्त है होते, अभिव्यक्त नहीं जो वो भाव ही कैसे
शिव वही जो शक्ति से जुड़ते, जो शक्ति नहीं तो शिव ही कैसे।
