Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Krishna Bansal

Drama Action Classics

4  

Krishna Bansal

Drama Action Classics

फ्लैट

फ्लैट

2 mins
316


मैं फ्लैट हूं 

किसी भी बड़े शहर के

एक टावर की 

किसी भी मंजिल का फ्लैट।


मेरे रूप अनेक 

वन बी एच के

टू बी एच के

थ्री बी एच के और 

किसी किसी टावर में

इस से भी बड़े।

 

एक टावर में एक जैसे फ्लैट

नीचे से ऊपर तक।


किसी भी टावर के 

निवासी का आर्थिक स्टेटस

सरकारी या प्राइवेट नौकरी, 

बिज़िनेस या फिर इंडस्ट्री

प्राय: टावर से ही भांपा जा सकता है।


मैं फ्लैट हूं 

अपने निवासियों को

सुरक्षा प्रदान करता हूं

क्योंकि मेन गेट पर 

सिक्योरिटी गार्ड बैठा रहता है।

सब के आने जाने पर निगाह रखता है।


मैं फ्लैट हूं 

मेरे यहां रहने वाले सब 

अपने ही परिवारों तक सीमित रहते हैं

आसपास, अगल-बगल, 

आस-पड़ोस 

कोई विशेष ताल्लुक नहीं 

सुख दु:ख में भी ज़रूरी नहीं कि 

वे शामिल हों 

अजनबियों की तरह रहते हैं। 


जॉब, दुकान, फैक्ट्री 

जहां भी काम करते हैं 

सुबह से शाम तक आने जाने का समय मिला कर

दस बारह घंटे लग जाते हैं थके मांदे घर पहुंचते हैं 

घर की लेडीज़ भी 

क्योंकि कहीं न कहीं काम करती हैं 

खाना बनाने में असमर्थता जताती हैं खाना कभी बना 

कभी नहीं बना


कभी किसी रेस्टोरेंट से आ गया  

या पिज्जा, बर्गर, नूड्डल्ज़ से ही

काम चला लिया 

थोड़ी देर टीवी देखा और सो गए 

अगले दिन फिर वही 

रोज़मर्रा की ज़िंदगी जीने के लिए।


कभी कभी उन्हें

अपने छोटे शहर के बड़े घर

की याद आती है तो आंखों में 

पानी भर लेते हैं। 

उस बड़े से मकान की 

मुझ से तुलना करने लगते हैं।

उनका बीघा दो बीघा में

फैला गांव का मकान

यहां कुछ फीट का मैं फ्लैट।


आंगन में खेलते सभी भाई-बहन 

चारों ओर बड़े बड़े 

आंगन के बीचों-बीच आम का 

सालों साल पुराना वृक्ष 

लाल रंग की चुनरिया में लिपटा

तुलसी का पौधा 


चोगा चुगती चिड़िया 

कांव कांव करता कौवा 

रोटी खाता कुत्ता

खूंटे पर बंधी गाय 

दूर दिखती पहाड़ियां 

हरे भरे खेत 

हरियाली चारों ओर।


उस दृश्य की मुझ से 

तुलना करते करते

रुआंसे से हो जाते हैं

शहरी लिविंग को कोसते हैं।


सच है मैं छोटा हूं

कोई मेहमान आ जाए 

लिविंग रूम में सुलाना पड़ता है

ज़मीन अपनी नहीं

चांद, तारे, गगन, 

इन्द्रधनुष देखने

टेरेस पर जाना पड़ता है

जिसमें वो आलस करते हैं।


मेरा बड़ा साइज़ लेने के लिए पैसे नहीं

इन परिस्थितियों में 

दोस्ती मेरे साथ ही तो करनी पड़ेगी।


मैं उन्हें समझाने की कोशिश 

यदा कदा करता रहता हूं।

वर्तमान में रहना सीखो

जो है उसे स्वीकार करो।


बढ़ती जनसंख्या ने और 

मकानों की बढ़ती कीमत ने 

मानव को मजबूर कर दिया है

बड़े शहरों में वर्टीकल लिविंग के लिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama