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Shailaja Bhattad

Fantasy Romance

3.3  

Shailaja Bhattad

Fantasy Romance

पहला प्यार

पहला प्यार

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ये घड़ी वो घड़ी हर घड़ी,

घड़ी-घड़ी याद किया तुझे।


तेरा यूँ रूठ जाना,

आँखों में आँसू दे गया मेरे।


क्यूँ लगने लगी अचानक,

अजनबी सी तुम।


इक पल को जुदा सी,

लगने लगी हो तुम।


मैं ख़फा रहूँ तुमसे,

ये तो मुमकिन ही नहीं।


तुम ख़फा रहो,

यह भी तो संभव नहीं।


मोम की भांति,

यूँ रूठ कर पिघलना तुम्हारा।


मासूमियत से इतराना तुम्हारा,

तुम रहती हो सपनों में मेरे हुबहू।


जैसे कर रहा हूँ तुमसे गुफ्तगू,

रिश्ता दिल का दिल से बन रहा है।


रब का इशारा है तुम्हें अपना बनाना है,

तुम पर मेरा हर जन्म निसार है।


सच्ची यार हो तुम,

पहला प्यार हो तुम।


हरसू बस शबाब है,

तुमसे ही मेरा सब ईमान है।


तुम पर ही जीवन कुर्बान है,

मेरे जीवन की बहार हो तुम।


हसीन पलों की हिस्सेदार हो तुम,

तुम्हारी खूबसूरत अदा।


शब्दों से बयां होती नहीं,

ये क्या जादूगरी है।


जो लबों पर आती ही नहीं,

तुम्हारी चाँदनी हँसी।


तुम्हारे चेहरे का नूर,

तुम्हें बस देख लूँ।


हो जाती है सारी थकान दूर,

जिंदगी क्या खूब लग रही है।


हर बादल से बूंदें बरस रही है,

बदली-बदली सी हर फ़िजा है।


रिश्ता दिल का दिल से बन रहा है,

तुम जन्नत की हूर हो।


आफ़रीन आफ़रीन,

तुम प्यार हो मेरा।


आफ़रीन आफ़रीन,

तुम्हीं इकरार हो मेरा।


आफ़रीन आफ़रीन...


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