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Sachin Gupta

Tragedy Inspirational

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Sachin Gupta

Tragedy Inspirational

फक्र

फक्र

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सदियों से झेल रहे हैं हम,

फुरसत से लगाये आग को

तप रहे हैं हम आज भी,

उठते इन आग के लपटों से ।


सभ्यता थी हमारी ऐसी की

सबको गले लगाना पड़ा

अपने क्या ओर पराये क्या ,

गैरों को भी अपनाना पड़ा ।


देश बट् गया , कई मुल्क बन गये

जंग छिड़ गया ,कत्लेआम हो गया

पर न जाने क्यों ?

विवाद आज भी जिंदा है?


कई टूकड़ो में बंटने पर भी

आज हम जिंदा है,

हमारा इतिहास जिंदा है।

हम सब कुछ भुला दिये नई सदी के लिए

पर न जाने क्यों ?

वो अंधेरे में बंदूके अपनी तानें बैठे हैं

ओर , दे पनाह आतंकवाद - नक्सलवाद को,

बना फिर कोई फिदाईन नया

भारत को मिटाने की आस लगाये बैठे हैं

कत्लेआम आज भी जारी है,

सरहदों पर वादियाँ आज भी घबराती है,

कि न जाने अब कौन सा बम फटने वाला है,

अब न जाने क्या चाह है उनकी,

न वो मरना चाहते हैं,

न वो मिटना चाहते हैं

फिर क्यों अब विवाद जिंदा है?


फख्र है हमें अपने मुल्क पर

इतना सब होने पर भी

हम आज जिंदा हैं , मुल्क हमारा जिंदा है,

क्योंकि हम आज जिंदा हैं।



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