फिर से आज मैं
फिर से आज मैं
ऐसा नहीं है कि
उसका मेरे यहा से जाना
अखरता नहींं है
उसका होने का
अहसास जरूर नहीं था
लेकिन ना होने का अहसास
ताउम्र साथ रहेगा
उसकी हर बातें
बड़ी बेतरबीन होती थी
कुछ गुदगुदाती थी
कभी हंसाती थी
अब जब मैं तन्हा हूं
वो बातें रुलाती है
कई बार लगा कि
क्या चीज है ये
क्यों जन्म जन्म का
साथ जुड़ गया मेरा
कभी लड़ाई होगी
तो कैसे संभल पाऊंगा
कभी नौबत ही नहींं आई
अकेले कुर्सी पर बैठे
हाथ में कलम लिए
हर कथन अब
उससे जुड गया
हर वाक्य में उतारता हूं
उनसे जुड़ी वो यादें
जो घर बसी है
लिखता हूं वो लम्हे भी
जो आंखों में
उम्मीद भर जाते हैं
उकेरता हूं
उन जगहों को भी
जहां चहकती थी
अपनी मासूमियत से
कभी कभी जब
ये नींद के आगोश में
होती थी तो
अपलक उन्हें में
निहारता रहता था
या फिर एक चिकोटी से
उसकी नींद भंग कर देता था
बाते करनी थी
जुड़ना था साथ हमारा
अब जरा देखो
तुम नहीं है
तो भी सब कुछ
है मेरे पास
यादों की टोकरी
कुछ खट्टे मीठे पल
कुछ खोए हुए पल
कुछ उम्मीदें साथ जीने की
फिर से आज मैं
घर की खिड़की से
उनकी राह
देखता रहता हूं
आशा नहीं छोड़ी मैंने
बस राह दूर तक
जरुर देखता हूं।