Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Indraj Aamath

Classics Inspirational

4  

Indraj Aamath

Classics Inspirational

फिर से आज मैं

फिर से आज मैं

1 min
366


ऐसा नहीं है कि

उसका मेरे यहा से जाना

अखरता नहींं है


उसका होने का 

अहसास जरूर नहीं था

लेकिन ना होने का अहसास

ताउम्र साथ रहेगा


उसकी हर बातें

बड़ी बेतरबीन होती थी

कुछ गुदगुदाती थी

कभी हंसाती थी


अब जब मैं तन्हा हूं

वो बातें रुलाती है

कई बार लगा कि

क्या चीज है ये

क्यों जन्म जन्म का

साथ जुड़ गया मेरा


कभी लड़ाई होगी

तो कैसे संभल पाऊंगा

कभी नौबत ही नहींं आई

अकेले कुर्सी पर बैठे


हाथ में कलम लिए

हर कथन अब

उससे जुड गया

हर वाक्य में उतारता हूं


उनसे जुड़ी वो यादें

जो घर बसी है 

लिखता हूं वो लम्हे भी

जो आंखों में 

उम्मीद भर जाते हैं


उकेरता हूं 

उन जगहों को भी

जहां चहकती थी

अपनी मासूमियत से

कभी कभी जब

ये नींद के आगोश में 

होती थी तो

अपलक उन्हें में

निहारता रहता था


या फिर एक चिकोटी से

उसकी नींद भंग कर देता था

बाते करनी थी

जुड़ना था साथ हमारा


अब जरा देखो

तुम नहीं है

तो भी सब कुछ

है मेरे पास

यादों की टोकरी


कुछ खट्टे मीठे पल

कुछ खोए हुए पल

कुछ उम्मीदें साथ जीने की


फिर से आज मैं

घर की खिड़की से

उनकी राह 

देखता रहता हूं

आशा नहीं छोड़ी मैंने

बस राह दूर तक

जरुर देखता हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics