STORYMIRROR

Rajit ram Ranjan

Tragedy

3  

Rajit ram Ranjan

Tragedy

फिर मैंने दिल लगाया उसी बेवफा से

फिर मैंने दिल लगाया उसी बेवफा से

1 min
320

डर सा लगता है, 

अब उसकी वफ़ा से... 

फिर मैंने दिल लगाया 

उसी बेवफा से... 


उसकी सारी कसमें 

झूठी निकली,

सारे वादे 

फरेबी निकले... 


उसके चेहरे के 

भोलेपन में, 

मैं फिर से भूल गया, 

की उसने दिल पे खंजर 

चलाया था...


सोचकर घबरा जाता हूँ, 

मैं अपने ही आप से... 

डर सा लगता हैं, 

अब उसकी वफ़ा से... 


फिर मैंने दिल लगाया 

उसी बेवफा से...!

बीती बातें सोचकर 

मन ही मन घबराता,

सहम सा जाता हूँ... 


मन तो मानता नहीं, 

मगर दिल कहता हैं,

शायद वो बदल गई होगी... 


उसकी मासूमियत देखकर 

दिल कहता हैं, 

आज भी उसे गले लगा लू... 


दिल पे मन 

हावी हो जाता हैं, 

औऱ मेरे कदम 

आगे ही नहीं बढ़ते 

वही थम से 

जाते हैं... 


गुजरना नहीं चाहता हूँ, 

फिर उसी खता से... 

डर सा लगता हैं, 

अब उसकी वफ़ा से... 


फिर मैंने दिल लगाया 

उसी बेवफा से...!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy