फिल्म
फिल्म
समाज का आइना कह, परोसा जिसे गया |
पल-पल मनोरंजन, लोगो को जिसने दिया |
कुछ घंटो की कहानी, कई भावना बांध आते हैं |
फिल्म है जो कल्पना, परदे पर दिखाते है |
नायक नाइका का मिलना, दिल को छू जाता है |
बरसात के गांनो में, तनमन भीगा जाता है ।
पति पत्नी की नोक झोक, आपस का गहरा प्यार ।
फिर किसी विलन के द्वारा, इनके बीच लाना तकरार ।
बीतता गया फिल्मो का जमाना, सादिया बीती दशक गए ।
पारिवारिक, मस्ती, अल्हड, शालीनता, हर तरह के स्वाद मिले ।
हर वर्ग, हर आयु की कहानी, जब परदे पर चलती है ।
जीवंत हो उठती कहानियां, कौतुहलता समेट ये लेती है ।
हाँ! फिल्मो ने दिखाया है, समाज के कई प्रकार ।
राजनीति, परिवार,प्रेम-प्रसंग, बच्चो की शरारत, व्यापार ।
साहित्य, कल्पना, विज्ञान, विध्वंश, इतिहास, भविष्य, कई देव-अवतार,
कल, आज, आने वाला कल, फिल्म चलेंगी जैसे चलती है ।
परदे, चेहरे, संकल्पना समय के साथ बदलती है।