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प्रवीन शर्मा

Romance Fantasy

4  

प्रवीन शर्मा

Romance Fantasy

पहेली सी है

पहेली सी है

2 mins
217


पहेली सी है उसकी बातों में, कहती है 

तुम ऐसी नजर से न देखो कुछ कुछ होता है

जो बात बातों में ही नहीं है मेरी, फिर भी

उसकी खुशबू का एहसास ना जाने कैसे होता है


वो अपनी मिसाल खुद ही है शायद, तभी तो उसको

खूबसूरत कह देना बस चांद आगे जुगनू जैसा होता है

सीरत का खजाना छुपा है सूरत के मखमल से

सिवा उसके कहाँ अमीरों का दिल बच्चे सा होता है


लड़ जाती है, मैं अपनी बुराइयां गिनाऊँ उसे जो

बात में एहसास का एहसास भी बस हमें ही होता है

एक पल को लगता है अब बस मैं उसे जान गया

अगले ही पल उसकी बातों में कुछ नया ही होता है


कहती है तुम गुमसुम न रहा करो, डर लगता है

कैसे कहूँ, दिल से दिल का रिश्ता पल पल गहरा होता है

मुस्कुराकर कहती है अच्छा तो अब चलती हूं मैं

जानता हूं कहते हुए आंसुओं पर हंसी का पहरा होता है


कहकर प्यार जताने की जरूरत नहीं लगी कभी

वफ़ा की समझ इतनी, इंसानों में ऐसा कहाँ होता है

वो जब याद करे तो गला नहीं दिल हिचकी लेता है

कितनी पागल है पर मेरी है इस बात का गुमा होता है


तू ऐसी है तेरे लिए कुछ भी कर जाऊं, कम ही होगा

हंसकर कहती है, क्यूँ कहते हो वो जो मुझे पता होता है

वो तो तेरी कसम आड़े आ जाती है मेरे वरना, बताता

मतलबी दुनिया को, प्यार का मतलब क्या होता है



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