पहचान
पहचान
आज उसने मुझे अहसास कराया है
क्यों ईश्वर ने उसे मेरा बेटा बनाया है।।
ये कहानी घर घर के सिलसिलों में है
भूत भविष्य वर्तमान के हर पलों में है।।
बात यूं ही कि परीक्षा का कहर अब भी जारी है
माता पिता की आकांक्षाएं नन्हें बचपन पर भारी है।।
कल उसका इम्तिहान है और वो बेख्यली में गुनगुना रहा है
उसके कल की चिंता में, मुझे ये सब नहीं भा रहा है।।
कभी प्यार से, कभी कड़क कर उसको हिदायत देती हूं
कोई विषय ना अछूता रहे, उसे अच्छे नंबर लाने को कहती हूं।।
वो बस मंद मंद मुस्कराता है
प्रतीक्षा थी उसे अपने बारी की,
सुन के समझ के मेरी बात
उसने अपने मन का कहने की तैयारी की।।
"काम नंबर आए, तो क्या आपके स्नेह से वंचित हो जाऊंगा
नंबर इंसान नही बनाते, कैसे आपको समझाऊंगा।।
शिक्षा जरूरी है, ये मालूम ही मुझे
पर हाथ की सब उंगलिया हैं समान नहीं ।
सिर्फ किताबी कीड़ा बनूं
ये मेरा अरमान नहीं ।।
कोई नंबर मेरी सफलता ता मापदंड नहीं
मैं अपनी अलग पहचान बनाऊंगा ।
मां, आज तू मेरा हाथ थामे रखना
कल तुझे अभिमान के शिखर तक ले जाऊंगा।।
