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Minal Patawari

Abstract Inspirational

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Minal Patawari

Abstract Inspirational

कर किनारा

कर किनारा

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स्वार्थ का पर्याय जब

मित्रता बन जाए

स्नेह बंधन को चीरे

यूँ हृदय अगाध पीर पाए


अनजान पथ में कदम

एक दूजे तो देते थे हौसला

पर हौसलों के फेर में जब

स्वर फ़ासलों के आये


स्नेहधार जब बेड़ी स्वरूपा

अलगाव मन को भाये

मीत के अंतर्पटल पे

प्रतिबिंबित नहीं छवि तुम्हारी


समझना ये ही समय है

विमुक्ति का उस ऋण से भारी

स्नेह का आधार दे जब

एकल बहने का इशारा

मान देना उस भाव को

और राह से कर लेना किनारा।


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