फैंटसी
फैंटसी
हज़ारों मील तक हम, संग चलते रहे।
मोहब्बत-ए-अरमान दिल में रखते रहे।।
मुकम्मल होगी मोहब्बत, दम भरते रहे।
यूं ही बेवफ़ा पर हम ऐतबार करते रहे।।
उसकी बातों को हमने यादों में सजाया है....।
फरेबी दुनिया का शहंशाह उसे बनाया है....।।
उसने खुद ही हमें शूलों पर चलना सिखाया है।
और वो सोचते हैं कि हमने दांव लगाया है।।
लिखा अपनी मोहब्बत का हरेक हर्फ़ हमने।
जो मोती से अश्क की दास्तां कह गया.....।।
दिखा दी हमने उसके बिना ही उड़ान भर कर।
वो बेचारा आसमां की ओर देखता ही रह गया।।