STORYMIRROR

Pradeep Kumar Panda

Romance Fantasy

3  

Pradeep Kumar Panda

Romance Fantasy

पद्म के पद्मकांत

पद्म के पद्मकांत

1 min
172

चेतना के ज्ञात बिन्दु से परे है

मेरे स्वप्न पुरुष का यूं स्वप्नवत् आगमन

और कितना कठिन है उनके लिए

शब्दों का चयन

एक परिपूर्ण कविता है तू जो

धारण कर सके मेरे कालांतर की प्रतीक्षा

और विवश अश्रु l

फिर भी लिख रही हूँ कुछ इस प्रभात बेला में 

उनके लिए जो प्रतिफलित रहे उनके नेत्रों में 

मेरे कांत के पद्ममय अंतःकरण में l


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance