पैसा
पैसा
उसूलों पर चलने वालों के लिए प्यारी अब शोहरत हो गई ।
दूसरों से प्यार किया अपनों से अब क्यों बग़ावत हो गई ।
अपनों की खूबियों में भी निकाली तुमने बहुत खामियां,
खुद के रिश्तों को छोड़ अब दूसरों की जरूरत हो गई,
सबको पीछे छोड़ अकेले चढ़ गए तुम सफलता की सीढ़ी,
माँ बाप से दूर रहकर तुम्हें लगा तुम्हारी तरक्की हो गई,
तुमने धन दौलत के लिए छोड़ दिया अनमोल रिश्तों को,
विश्वास की डोर तोड़ तुम्हें तो पैसों से मोहब्बत हो गई,
हर गलत राह पर जाने से तुम्हें हमेशा बचाया था जिसने,
अकेला छोड़ उन्हें तुम्हें लगा तुम्हारी इच्छा अब पूरी हो गई,
तुम्हारे मुस्कान कि वह अक्सर वजह हुआ करते थे,
आज धन दौलत पैसा शोहरत ही तुम्हारी मुस्कान हो गई,
अब तो आँखों में तुम्हारी चमक दिखती बस पैसों की ,
रिश्तों को भूल पैसा ही तुम्हारी अब जरूरत हो गई!!