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Neha anahita Srivastava

Children

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Neha anahita Srivastava

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पापा

पापा

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पापा, तुम बहुत याद आते हो,

देखती हूँ दरख्तों के साये में खिलते नई कोपलों को,

कभी धूप की सुनहरी किरण बन चेहरे को प्यार से थपथपाते हो,

कभी बहती हवा के साथ कानों में कुछ कह जाते हो,

रात में जब सब चाँद से बाते करते हैं,


मैं उन तारों के बीच तुम्हें तलाशती हूँ पापा,

टिमटिमाते किसी न किसी तारे में तुम रोज मुस्कुराते हो पापा,

अँधेरे जब बढ़ जाते हैं,

सैकड़ो जलते-बुझते जुगनू ,

मेरे आस-पास आ जाते हैं,


मुठ्ठियाँ तुम अपनी खोल देते हो न पापा,

सर्द किसी रात को ,

बूँदें शबनम की देखती हूँ पत्तियों की गोद में,

मन उदास सा हो जाता है पापा,

महसूस कर सकती हूँ तुमको,

क्यूँ अश्क बेवजह गिराते हो पापा,

रात को ख्वाब में,


बचपन की अधूरी कहानी पूरी सुनाने आते हो पापा,

भोर की पहली किरण के साथ,

छोड़ कर फिर कहानी अधूरी,  

कहाँ चले जाते हो पापा ?

बड़े उलझे हुए से ,

ज़िन्दगी के सवाल हैं,


क्या जोड़ूँ, क्या घटाऊँ

समझ में आता नही है,

तब मुस्कान एक जोड़ कर,

दो आँसू मेरे घटा जाते हो न पापा,

बच्ची नही रही, अब बड़ी हो गई हूँ,


क्यों आँखमिचौली खेलते हो पापा,

आस-पास हो मेरे,

जानती हूँ मैं पापा,  

एक बार मेरी सारी बातें सुन लो न, पापा,

लौट आओ न पापा।


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