Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Umesh Shukla

Tragedy

4  

Umesh Shukla

Tragedy

पानी कम हो रहा....

पानी कम हो रहा....

1 min
250



पानी कम हो रहा अब चारों ही ओर

नजरों से भी गुम हुआ संकट घनघोर

जन जन इसकी कमी नित करता है महसूस

पर इसकी रक्षा कौन करेे बनकर फानूस

धन सुमेरु खड़ा करने में जुटे नेता, कारकून

उनको दिखता ही नहीं पानी के लिए बहता खून

नदियों, पोखरों का मिट रहा रोज ब रोज अस्तित्व

फिर भी अफसरों को याद दिलाता नहीं कोई दायित्व

तंत्र के हरेक अंग में लग गई है भ्रष्टाचार की जंग

जो दिन रात निगल रही है आम आदमी की उमंग

शायद परवर दिगार भेजेंगे फिर से कोई अपना दूत

जो सबकी नकेल कस करेगा करनी को दुरुस्त

इस उम्मीद में ही खोए हैं भारत देश के सभी लोग

मायूसी की दशा में वो क रनहीं रहे हैं कोई नया प्रयोग।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy