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Devendraa Kumar mishra

Tragedy

4  

Devendraa Kumar mishra

Tragedy

पानी और शर्म

पानी और शर्म

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पानी और शर्म एक दूसरे के पूरक हैं 

या कहें पर्यायवाची 

इसलिए तो लोगों की शर्म मर रही हैं जैसे जैसे 

मर रहा है पानी भी वैसे वैसे 

अब यही देखिए - शर्म से पानी पानी होना 

चुल्लू भर पानी में डूब मरना 

आँखों का पानी मरना 

आदमी पानीदार नहीं रहा 

तो आदमी में शर्म नहीं 

और धरती में पानी न रहा 

बात बराबर रही 

जिन्हें पानी की चिंता है 

वे पहले पानीदार तो हों 

तब तो पानी मिलेगा 

पानी को भी खोजना पड़ रहा है 

और शर्म को भी 

दोनों गायब 

दोनों मर रहे हैं 

कहीं ऐसा न हो फैशन के नाम पर आदमी घूमने लगे नग्न 

और चुल्लू भर पानी न मिले डूब मरने के लिए 

बेशरम तो मरा हुआ ही समझो 

जीने के लिए और पानी चाहिए. 


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