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नीलम पारीक

Romance

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नीलम पारीक

Romance

ओ साजन तुम

ओ साजन तुम

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ओ साजन तुम कैसे भूले,

साँझ ढली पर तुम न आए

देखो तो चन्दा ने अपनी

निशा प्रिया को

तारों की झिल-मिल चुनरी से

आज सजाया फ़िर से


वो देखो फ़िर बिखरी चांदनी

दूर गगन से आई धरा पर

महकी फ़िर से रात की रानी

चाँद-रात ने छेड़ी सरगम


नाच उठी सागर की लहरें

बजने लगी मम मन वीणा भी

मधुर सुरों में

थिरका मेरा भी महका तन


थक गई रात, सो गए तारे,

चाँद चला अनजान डगर पर

चल दी रजनी भी अपने घर 

भोर हुई पर तुम न आए


इससे पहले रात के अश्रु 

शबनम बन कर

फूलों जैसे तन को छूले

उषा की पहली किरणों के संग

आओ साजन

बीती रात, कमल दल फूले...



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