नज़रें चुराते सवाल
नज़रें चुराते सवाल
माँ,तुमसे एक सवाल करना चाहती हुँ
तुमने हमें सवाल करना क्यों नहीं सिखाया है?
क्यों हर बार बोलती रही
बड़ों की बात माननी होती है?
क्या सवाल करना मेरा हक़ नहीं था?
बीसवीं सदी में सवाल न करना ठीक था
लेकिन क्या इक्कीसवीं सदी में सही है?
किसी ने कहा थालियाँ पीटो
मैं कहे समय पर थालियाँ पीटती रही
मजदूरों की थाली अन्न से भर गयी क्या?
यह सवाल तो मैंने पूछा ही नही
क्योंकि थाली क्यों पीटना है
यह सवाल मैंने पूछा नहीं था
चंद दिनों के बाद फिर मुझे कहा गया
घर के आँगन में दीये जलाओं
मैंने कहे समय पर फिर दीये जलाएँ
मजदूरों के घर में चूल्हा जला क्या
यह सवाल तो मैने किया ही नही
nd-color: rgb(255, 255, 255); text-decoration-style: initial; text-decoration-color: initial; display: inline !important; float: none;">दीये जलाते वक़्त मैंने सवाल जो नहीं किया था
फिर हेलीकाप्टर से फूलों का वर्षाव हुआ
देश की हेल्थ फैसिलिटीज कैसी है?
तब मैंने यह सवाल नहीं किया
बन्दरगाहों मे जहाजों को लाइटिंग से सजाने पर
हम सारे देश वासी आनंदमय हो गये
मजदूरों के अंधकारमय जीवन पर
हमने फिर किसी से सवाल नहीं किया
माँ,तुमने हमें सवाल करना क्यों नहीं सिखाया है?
टीवी में मजदूरों के पलायन की ख़बरों पर
हम दूसरे चैनल पर पलायन करते हैं
लेकिन हम इतने भी बेवकूफ़ नहीं है
अब हम भी कुछ सवाल करने लगे हैंं
पिज़्ज़ा की दुकानें कब खुलेगी?
हॉटेल्स कब खुलेंगे ?
शॉपिंग मॉल कब खुलेंगे?
सिनेमा हॉल कब खुलेंगे?
माँ बाबा और दादी टीवी के रामायण महाभारत में दंग है
और इन सवालों के जवाबों से बच रहे है
और हम जवाब ना मिलने पर
फिर से नेटफ्लिक्स और
हॉटस्टार देखना शुरू कर देते हैं.....