नज़र...प्रेम की
नज़र...प्रेम की
जिस नज़र से मैं हमेशा बचना चाहा,
उस नज़र ने ही लगातार मुझे तराशा,
जिस नज़र को मैंने गलत समझा,
उस नज़र ने ही मुझे सही क़रार दिया।
नज़र उस शख्स की, मुझ पर हमेशा से ही थी,
नज़र मुझे उस दिन आया, जब मैने
उस नज़र से देखा,
उसके कारण ही मेरा नजरिया बदला,
उसके कारण ही मैंने खुद को जाना।
शुक्रिया अदा करती हूँ, उस शख्स के नज़र को,
जिन्होंने नज़र ही नज़र में मुझे खुद से मिलवाया।

