नव वर्ष...
नव वर्ष...
न्यू वाली नहीं इसमें कोई बात है
बदलना कैलेंडर को हर साल है
हिंदी महीनों के हिसाब से तो
अपना नव वर्ष कुछ समय पश्चात है।
लेकिन हम ठहरे कॉपी पेस्ट वाले
लगती हमें अपनी चीजें कहाँ कुछ खास है
वेस्टर्न कल्चर के पीछे हम ऐसे भागे
भूल गए कि हम नव वर्ष क्यों हैं मनाते।
इसमें नहीं होता कुछ खास है
ठंडी लगाती सबकी व्हॉट है
चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा
को नव वर्ष है आता।
चारों और फैलती हरियाली
खुशियों का संदेश लाता
किसानों की भी
कटती फसल वो जश्न मनाता।
वित्तीय बजट भी सरकार द्वारा
पेश किया जाता
फाल्गुन फिजा में
चार चाँद है लगाता।
मौसम भी कितना
सुहावना है हो जाता
चैत्र माह के साथ ही
नवरात्रों का पर्व है आता।
माता की भक्ति मे लीन होकर
भारतीय नव वर्ष
का आगाज है किया जाता...
