नश्वर
नश्वर
नश्वर है ये तन हमारा नश्वर यह संसार
ईश्वर ही शाश्वत सत्य बाकी सब बेकार
मोहमाया है धन दौलत रिश्ते नाते यहाँ
भ्रम है इंसान को यही सुख का आधार
नश्वर इस काया से मत कर इतना प्यार
प्राप्त कर परमात्मा को वही है आधार
मिट्टी में मिल जाएगा क्षणभंगुर यह तन
फिर क्यों कोई इस पे करता नहीं विचार
जो कुछ है यहीं है कुछ नहीं उस पार
निष्काम कर्म कर थोड़ा कर परोपकार
बस यही सब साथ जाना है अंत समय
क्योंकि तन नश्वर है नश्वर नहीं व्यवहार
हीरे मोती बड़े महलों का मोह है बेकार
केवल कर्म, व्यवहार याद रखता संसार
अमीर गरीब किरदार बस कुछ दिन का
फिर एक समान सबको जाना उस पार।