नोटबंदी २०१६
नोटबंदी २०१६
लागू हुई नोटबन्दी २ वर्ष पहले,
जनता ने थी खुशी मनाई,
सबने सोचा अब तो काले धन,
वालों की शामत आई।
एटीएम और बैंक के बाहर,
जनता लाइन लगाए खड़ी थी,
नोटबंदी का स्वागत करते,
आशाएँ सबकी बड़ी-बड़ी थी।
जनता को पैसे की तंगी,
कैश की मारामारी थी,
पर कुछ बैंकों के अंदर,
हेरा फेरी कैसी जारी थी।
कैश खत्म का बोर्ड लगा,
मिलता जनता मायूस लौट जाती,
फ़र्ज़ी दस्तावेज से मोटी गड्डी,
नए नोट में बदल जाती।
बेबस मजबूर दम तोड़ जाते,
पैसे न मिल पाने से
वहीं लोग ईमान बेचते,
रिश्वत के हाथ में आने से।
भ्रष्टाचार की जडे़ं समाज में,
गहरे तक जो पैठी हैं,
नोटबंदी को विफल कराती,
बड़ी ताकतें बैठी हैं।
आस लगाए थी ये जनता,
नया साल जब आएगा
भ्रष्टाचार आतंकवाद से,
भारत मुक्त हो जाएगा।
आज हुए दो वर्ष पर स्थिति में,
न कोई बदलाव हुआ,
नोटबन्दी से थी जो आशा,
उस पर तुषारापात हुआ।
लालच के दानव को जब तक,
इंसान मार न पाएगा,
हम सबके सपनों का भारत,
तब तक न बन पाएगा।
