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Upama Darshan

Abstract

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Upama Darshan

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भूल

भूल

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दुनिया की रफ्तार रोक दी 

इक छोटे से वायरस ने

जो इंसा न किसी से हारा

टेक दिए उसने घुटने


क्या आंधी क्या तूफां वह

किसी से न घबराया था

ऊंचे विशाल पर्वत पर चढ़

उसने झंडा फहराया था


प्राकृतिक आपदाओं का

डटकर किया था मुकाबला 

भूकंप से भी हुई तबाही

पर न रुका था काफिला


आतंकी हमलों को झेला

हिम्मत लेकिन न टूटी

युद्धों की विभीषिका झेली

दुनिया लेकिन नहीं रुकी


छोटा सा निर्जीव वायरस 

जो आंखों से न दिखता है

सक्रिय हो दहशत फैलाए

कैसी ये बड़ी विषमता है


फ्लाइट अंडरग्राउंड हो गईं

एअरपोर्ट हो गए हैं सूने

मुंह पर मास्क मन में डर है

संक्रमित वस्तु न वह छू ले 


माल सिनेमा हैं वीराने

बंद हो गए हैं स्कूल

समय है अब ये इंसा सोचे 

कहां हो गई उस से भूल।


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