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Upama Darshan

Abstract

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Upama Darshan

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तीसरा युद्ध

तीसरा युद्ध

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साल नया ये कैसा आया

बड़ी विपत्ति साथ है लाया

कोरोना का डर ऐसा छाया

भूल गए सब मोह और माया


हालात युद्ध जैसे हैं लेकिन

दुश्मन बेहद शातिर है

अस्त्र शस्त्र भी काम न आएं

ऐसा दुश्मन हाजिर है


वार कर रहा है यह छुपकर

दुनिया को पूरी हिला दिया

अनजाने ही‌ इंसा ने इसको

खुद विश्व में पूरे फैला दिया


जात प्रांत से परे है यह

जकड़ किसी को भी ये सकता

लाचार हुआ है इंसां कैसा

पकड़ नहीं वो इसको सकता


विश्व युद्ध दो दुनिया ने देखे

ये उन सब पर भारी है

कैद हो गया घर में इंसां

लेकिन लड़ाई जारी है


बंद हो रही हैं दुकानें

बंद हो रहे हैं व्यापार

आर्थिक मंदी का भी खौफ़ है

पाएं कैसे इस से पार


इस युद्ध के सैनिक डाक्टर नर्स हैं

मुस्तैदी से क्षेत्र में डटे हुए

सफाई कर्मी एयर लाइन स्टाफ

ड्यूटी पर हैं खड़े हुए


संकट की इस कठिन घड़ी में

जिम्मेदारी अपनी समझें

दुश्मन ये न फैलने पाए

एहतियात गर सब जो बरतें।


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