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Pradeep Sahare

Tragedy

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Pradeep Sahare

Tragedy

निशान

निशान

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कुछ निशान बाकी हैं,

अभी भी,

दिए हुए जख्मो के तेरे।

मेरे मन मस्तिष्क पर।

क्या खता थी मेरी,

मैंने तो बस,

चाहा था तुझको,

तेरी हर चाहत में,

रजामंद थी मै ।

सजाती सपने,

कुछ अपने,

कुछ तुम्हारे ।

तुम्हारी ही बाहों में ।

हो कर बेधुंद,

खुले बाहुबंद ।

ना जाने क्यों कब !!

रुखसत हुए तुम,

एक निशान देकर,

दर्द भरा,

हमेशा के लिए।


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