नई सुबह आ रही आशा के दीप जलेंग
नई सुबह आ रही आशा के दीप जलेंग


नई सुबह आ रही आशा के दीप जलेंगे।
नव उमंग जाग रही अब नए गीत रचेंगे ।।
खेत की माटी बोल रही
ओ कर्मवीर उठ जाओ
प्राणों में हुंकार भरो
मेहनत की फसल उगाओ
नई रोशनी आ रही अंधविश्वास दूर भगेंगे ।
नई सुबह आ रही आशा के दीप जलेंगे।।
जीत उसे हासिल होती
आशा के बल पर जीते
बाधाओं को दूर हटा के
वे नीलगगन छू लेते
कर्म आंधी चल रही श्रम के फूल खिलेंगे ।
नई सुबह आ रही आशा के दीप जलेंगे।
सारे बंधन तोड़ कर
नई ऊर्जा से भर दे
खौफ का साया जहाँ
हौसलों के पंख दे दे
नई लहर आ रही आत्मविश्वास जगेंगे ।
नई सुबह आ रही आशा के दीप जलेंगे ।।शं
चुनौतियों का करो सामना
भाग्य भरोसे बैठो नहीं
पुरुष हो पुरुषार्थ करो
बाधाओं से डरो नहीं
कर्मभूमि सज रही ज्ञानदीप जलेंगे ।
नव उमंग जाग रही नए गीत रचेंगे।
न नई सुबह आ रही आशा के दीप जलेंगे।।