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संदीप सिंधवाल

Inspirational

4.7  

संदीप सिंधवाल

Inspirational

तमीज की विरासत

तमीज की विरासत

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बचपन से सिखाई जाती थी

बापू कड़क लगते थे

शब्दों को तोल के बोलो

थोड़ा इधर उधर हुआ तो

'बोलने की तमीज सीखो'।


हां तो उठने बैठने चलने पर 

जहां पर सब बैठे हो बस ये

आदेश निकलने वाला

'तमीज से बैठो'।


खाना खाने के बड़े नियम

घर में खाने की तमीज

मेहमान के रूप में तमीज 

और शादी पार्टी में तमीज।


और भी बहुत तमीज खेल,

पढ़ाई, हंसी, मनोरंजन

हर कदम पर तमीज सिखाई

थोड़ा हास्य सा लगा पर

तब जा कर थोड़ा

इंसान जैसा दिखता हूं।


आज एहसास होता वो सब

जब मैं अपने बच्चों को वही

सिखाता हूं जो विरासत में मिला।


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