कौन हूँ मैं ? कौन हूँ मैं ?
चिराग...। चिराग...।
एक ग़ज़ल। एक ग़ज़ल।
रोशनी की ओर ! रोशनी की ओर !
मैंने देखा है, प्रकाश को संघर्ष करते हुए...! मैंने देखा है, प्रकाश को संघर्ष करते हुए...!
हमारे इश्क़ को तू अब अधूरा ही रहने दे मैं बहता दरिया हूँ तू खुद को सागर रहने दे... हमारे इश्क़ को तू अब अधूरा ही रहने दे मैं बहता दरिया हूँ तू खुद को सागर रहने दे.....