मेरे सपनों की दुनिया
मेरे सपनों की दुनिया
माँ ने पूछा
कोख में पल रही अपनी
नन्ही बिटिया से,
कैसी है तेरे सपनों की दुनिया?
चाँद तारे सजाऊँ या फिर
पंख ले आऊँ तेरे लिए?
नन्ही चिड़िया से
क्या मैं परियों से देश सजाऊँ
या फिर इंद्रधनुष के
रंग ले आऊँ?
कैसी है तेरे सपनों की दुनिया
बोल ज़रा मेरी नन्ही गुड़िया?
माँ मुझे नहीं चाहिए
चाँद और तारे,
ना ही लाना तुम इंद्रधनुष के
रंग वो सारे,
पंखों का भी क्या करूँ?
समाज के नियमों से बंधकर
तुम ही बोलो
भला कैसे मैं ऊँची उड़ान भरूँ?
मेरे सपनों की दुनिया में माँ
बस हक़ दे दो मुझे भी,
ऊंची ऊंची उड़ान भरने का
देर रात घर से बाहर,
जब निकलूँ अकेले
तो माहौल ना हो डरने का।