बुद्धपुर्णिमा
बुद्धपुर्णिमा
बुद्धं शरणं गच्छामि
धम्मं शरणं गच्छामि
संघं शरणं गच्छामि।
अनुशीलन मार्ग उचित
धर्म मोक्ष का पथगामी।
वेद, पुराण, उपनिषद, ऋचाएं
चंहु दिश ज्ञान प्रकाश फैलाएं
अंधकार जब बढ़ा पाप का
धर्म, सत्कर्म की राह दिखाएं।
प्राणियों में सद्भाव है भरना
इक दूजे संग जीना मरना
राग द्वेष न बढ़े कहीं भी
आपस मे हिल मिल सब रहना।
धन वैभव सब रह जायेगा
श्रृंगार धरा सब रह जायेगा
सत्कर्मों की गणना होगी
सद्विचार तेरा तब काम आएगा।
संयम ही सच्चा बल है
जितेंद्रिय है तू, संबल है
मानव वही मानव कहलाता
मन, कर्म, वचन से जो निर्मल है।
जीवन वही जो राह दिखाए
मनुजता का अभिप्राय बताए
एक बनें सब, नेक बनें सब
प्रतिपल नैतिकता का पाठ पढ़ाये।
परम् ज्ञान ही मोक्ष धाम है
त्याग, समर्पण गीता कुरान है
सम्यक की ताकत अपना लो
जीवन अपना ये परम् धाम है।।