STORYMIRROR

Bhawna Kukreti Pandey

Inspirational

4  

Bhawna Kukreti Pandey

Inspirational

जवाबदेही

जवाबदेही

1 min
155

यही समय है

उसे मेहतर हो जाना होगा

अपने अंतर के लिए,

बाकी बचे सुंदर जीवन के लिए ।


खोस के लाज अपनी कमर पर,

उठानी होंगी सारी बजबजाती यादें,

पोछनी होगी मन की दीवारों पर लगी 

दूसरे से मिली शर्म की कालिख

खुरचना होगा डर की जमी मैल को भी।


उठा कर मगर ये सब 

वो अपने सर पर नहीं ढोएगी

फेंक देगी बड़ी जोर से 

बाहर उसी सफेद झूठ की दुनिया में

जहां से सब भरा गया था उसमे।


एक बच्ची, युवती और वृद्धा

गंदगी कब तक ढोएगी दूसरों की,

जवाब देही तय करेगी अब हर किसी की।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational