यही समय है उसे मेहतर हो जाना होगा। यही समय है उसे मेहतर हो जाना होगा।
वर्ना बिना रीढ़ की हड्डी के जीवन दिव्यांगता बन जाती है। वर्ना बिना रीढ़ की हड्डी के जीवन दिव्यांगता बन जाती है।
क्या अपनी आने बाली पीढ़ी को अपने आँगन का छोटा सा बसेरा उपहार मे देते हैं। क्या अपनी आने बाली पीढ़ी को अपने आँगन का छोटा सा बसेरा उपहार मे देते हैं।
अपने-अपने युद्ध हैं, अपने-अपने हैं व्यूह। अपने-अपने युद्ध हैं, अपने-अपने हैं व्यूह।