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Himanshu Sharma

Others

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Himanshu Sharma

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मन का महाभारत

मन का महाभारत

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अपने-अपने युद्ध हैं,

अपने-अपने हैं व्यूह!

हैं हम स्वयं ही कृष्ण,

हैं हम ही अभिमन्यु!


सही-गलत का युद्ध,

चला आ रहा सतत!

अपना-अपना पक्ष है,

अपना-अपना, मत!


कोई युयुत्सू बन के,

है पाला बदल रहा!

ये महाभारत का रण,

हर मन में चल रहा!


जीत-हार के मायने,

सब हैं इसमें सापेक्ष!

हरेक लड़े युद्ध यहाँ,

रह न पाए, निरपेक्ष!


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