नई पीढ़ी, धर्म और संस्कृति
नई पीढ़ी, धर्म और संस्कृति
हजारों साल पहले
हमारी विरासत और संस्कृति में था
कि शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले किया जाए।
बहुत से बुजुर्ग
सूर्य अस्त के बाद
ग्रहण नहीं करते थे अन्न।
लेकिन हम अपनी नई पीढ़ी को
इसका तार्किक और वैज्ञानिक कारण ना समझा सके
परिणाम यह हुआ
उन्होंने हमारी इस विरासत को महत्व नहीं दिया
और आज
भारत के अधिकांश लोग
अनेकों रोगों से पीड़ित हो गए
इस पर रिसर्च की
तो पता चला
देर रात किया हुआ भोजन ठीक से नहीं पचता क्योंकि
रात में
पाचक अग्नि
होती है सबसे कम।
इसी तरह
यदि हम धर्म और आध्यात्म के ज्ञान को
तर्क और वैज्ञानिक तरीके से
नई पीढ़ी को नहीं दे सके
तो यह पीढ़ी नास्तिक हो जाए
इसमें नहीं है कोई शक।
यदि हम बैठे रहे हठ पर
कि
जिसे सीखना है
वह हमारी भाषा और तरीके
अर्थात कथा कहानी में सीखे
तो धर्म और संस्कृति का प्रचार अच्छे से नहीं होगा।
क्यों ना परमात्मा से प्रार्थना करें
कि वह दुनिया को आध्यात्मिक ज्ञान
तार्किक और वैज्ञानिक ढंग से समझाने की
कला और सीख हमें प्रदान करे।
कम से कम हम प्रयास तो करें
बुद्धि तो भगवान दे ही देगा ।।
