माँ की गोद माँ का आँचल
माँ की गोद माँ का आँचल
सदा याद आते हैं
माँ की गोद, माँ का आँचल।
सन्तान चाहे कहीं भी रहे
कोठियों बंगलों में,
महलों दुमहलों में।
वास्तविक सुख, शांति और शीतलता
कहाँ मिलती है!
थक हार कर, सिर मार कर
दिनभर की भाग दौड़,
अपना ख्याल छोड़
सुकून की नींद तभी आती है।
जब मां की गोद मिल जाती है।
मिलता है उसका दुलार व थपकियां
वह कहती है
"थक गया होगा,
सो जा बेटा!"
वी आई पी कमरे,
नौकर चाकर,
अमीर यार दोस्त
वैभव ऐश्वर्य सब कुछ हो फिर भी
बात जब बिना स्वार्थ सेवा और कद्र की हो
तब कौन सामने आता है!
इस दौलत शोहरत को हटाकर देखिए
अब आप गरीब हैं
ऐसा एक बार सोच कर देखिए
माँ बिना लालच के तब भी
घर आते ही पूछेगी
बेटा आज खाना खाया या नहीं
बस यही सोच कर मन को लुभाते हैं
माँ की गोद, माँ का आँचल।
