माँ है सर्वस्व
माँ है सर्वस्व
हे माँ!
तू परमात्मा तुल्य
सृष्टि, स्थिति, संहार
तीनों गुण नियत तुझमें।
तू जन्मदात्री, सृष्टिकर्ता
नवजीवन देने की शक्ति तुझमें।
दया, क्षमा, प्रेम, करुणा, त्याग, वात्सल्य
और पोषण की हर युक्ति तुझ में।
तेरी गोद में पलते बचपन कई।
तू ही तो है वह
जो देती सन्तान को
परवरिश शिक्षा और सोच नई।
तू संहारक कुसंस्कारों, दुष्कर्मों और पापों की
हे शुद्ध स्वरूप!
योग, आध्यात्म और भक्ति तुझमें
बन्धनों का ह्रास, दुर्गुण नाश
पूर्ण मुक्ति तुझमें।
