"नेग वेग सब छोड़ो रे"
"नेग वेग सब छोड़ो रे"




नेग वेग सब छोड़के बंधु! कुछ अनुपम सा काम करो
ये तो बासी परंपरा हैं नया करो और नाम करो
जब बेटी आए पीहर में ,क्यों जरूरी देना उपहार
मात-पिता से मिलकर भर ले वोअपने जीवन में प्यार
लोक- लीक से हटकर ही बस करे नई पीढ़ी व्यवहार
बेटी बनकर बहू स्वयं सासू से लेवे मां का प्यार
अपने सेवा कर्मों से जीते दिल, कर दे चमत्कार
घिसी पिटी बातों को अब तो करो नहीं कोई स्वीकार
जीवन के दर्पण में देखो छवि ना धुंधली पड़ जाए
बेटी के घर आकर भूखा प्यासा कोई ना जाए
बदलकर रख दो सड़ी गली बातों को जो ना भाती हों
नव आगत सुखप्रद बातों को लाओ जो हर्षाती हों।