नए काम से अच्छा, बिगड़े का सुधार
नए काम से अच्छा, बिगड़े का सुधार
नए काम से अच्छा, बिगड़े काम सुधारा जाए
सोए हुए सभी हैं आओ, मिल के आज जगाया जाए
लॉकडाउन में हम सबने मिलना जुलना छोड़ दिया....
अच्छा होगा अगर किसी, बच्चे को गोद खिलाया जाए।
जल हम सबका जीवन है, सबकी प्यास बुझाया जाए
व्यर्थ न पानी बहने दो, आओ उसे बचाया जाए
धरा हमारी सूख गई कोई न दे पानी इसको....
चलो आज सब मिल जुलकर, इसको खूब पिलाया जाए।
जमीं हमारी खूब महकती, इसको मिल महकाया जाए
फूलों की खुशबू है मोहक, इसको खुब फैलाया जाए
सुंदरता की मूरत है पर दिखती नहीं कहीं भी ये....
मिलकर आज चलो इसका, असली रूप दिखाया जाए।
गाँव-शहर में फैली दहशत, आओ इसे मिटाया जाए
खुशियाँ बाँटो और बाँट के, घर-घर में फैलाया जाए
घर भी मांगे अपनी रौनक लॉकडाउन में खोई जो....
आओ मिलकर घर-घर को, अपने खूब सजाया जाए।
धरा हमारी बिगड़ गई, सब मिलकर सुधारा जाए
वायु अशुद्ध चली हुई, आओ वृक्ष लगाया जाए
कोरोना ने हम सबका दाना पानी छीना है....
चलो आज से सब मिलकर, खाना खूब खिलाया जाए।
आओ हम सब अब मिलकर, जागरूकता फैलाया जाए
जागरूकता फैला के सबको, कोरोना से बचाया जाए
सुनी हुई कुछ अफवाहों से आम जनता डरी हुई....
डरी हुई इस दुनिया को, वीरों के गान सुनाया जाए।