STORYMIRROR

Shilpi Srivastava

Romance

3  

Shilpi Srivastava

Romance

नासमझ मोहब्बत

नासमझ मोहब्बत

1 min
95


नासमझ मोहब्बत को समझाऊँ कैसे?

जो दिल में है उसे आंखों से छुपाऊँ कैसे?

हरदम नहीं होती है यूँ कश्मकश दिल में,

जब होती है उस वक्त इसे बहलाऊँ कैसे ?

फ़ासला ज़रा सा था तेरे मेरे दरमियाँ,

अब गहरे समंदर के पार जाऊँ कैसे?

रोक लेना था तुमको मुझे हाथों को बढ़ाकर,

चलते हुए कदमों को लौटाऊँ कैसे?

बदली कभी बिलकुल नहीं, मैं आज भी वही हूँ,

बीते हुए उस रंग में ढल जाऊँ कैसे?


Rate this content
Log in