नासा की कल्पना
नासा की कल्पना
कल ही कल्पना में,
मैं बनी थी,
नासा की कल्पना।
हरियाणा के करनाल में बैठी,
पढ़ते-पढ़ते कर रही थी,
ऊंची ऊंची कल्पना।
कल ही कल्पना में,
मैं बनी थी,
नासा की कल्पना।
कोलंबिया स्पेस शटल में,
साथियों संग हो रही थी रवाना,
कल ही कल्पना में,
मैं बनी थी,
नासा की कल्पना।
चांद पर धरती सा जीवन जी रही,
बस ऐसी ही थी कल्पना,
कल ही कल्पना में,
मैं बनी थी,
नासा की कल्पना।
भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बन,
सारे भारत में हो रही थी सराहना,
कल ही कल्पना में,
मैं बनी थी,
नासा की कल्पना।
भारत का मस्तक हो ऊंचा गर्व से,
बस ऐसी ही थी कामना,
कल ही कल्पना में,
मैं बनी थी,
नासा की कल्पना।
चांद से जो लौटकर आई,
काश सच हो जाए यह कल्पना,
कल ही कल्पना में,
मैं बनी थी,
नासा की कल्पना।